मोहाली
बेजानों में कला के ये जादूगर फूंकते हैं नई जान, वाकई गुरुनगरी अमृतसर में गीत गाते हैं पत्थर

अमृतसर। बरसों पहले एक हिंदी फिल्म आई थी ‘गीत गाया पत्थरों ने’। इस फिल्म में बेजान पत्थरों को सजीव रूप देने वाले शिल्पकार (मूूर्तिकार) की अनोखी कहानी दिखाई गई थी। गुरुनगरी अमृतसर मेें भी कला के ऐसे ही जादूगर बेजान संगमरमर के पत्थरों को सजीव करते हैं। इन्हें देखकर लगता है कि ये बोल उठेेंगे, गा उठेंगे। आप भी इन्हें देख कर कहेंगे- वाकई गुरुनगरी मेें पत्थर भी गीत गाते हैं।
जैसी इच्छा वैसी मूर्तियां बनाते हैं कलाकार, फोटो भेजकर पसंदीदा मूर्तियां बनाते हैं शिल्पकार
समाज में हरेक धर्म के देवताओं की मूर्तियों और अन्य प्रतीकों के प्रति लोगों की बड़ी आस्थाएं हैं। मंदिरों के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों पर मूर्तियां आमतौर पर आप देखते हैं, लेकिन इनमें कई ऐसी होती हैं किे बरबस मन माेह लेती हैं। गुरु नगरी अमृतसर में कला के ये अनोखे नमूने जगह-जगह लगे हैं। ऐसे में अमृतसर में पत्थरों को सजीव करने की कला की बहुत पुरानी परंपरा है। यहां के कलाकार देश भर में संगमरमर की कलात्मक मूर्तियां बनाकर भेजते हैं। यहां के कलाकारों की खास खूूबी है, ग्राहकों की इच्छा काे वे पत्थरों में ढाल देते हैं यानि इच्छा के अनुरूप भंगिमा व भाव प्रकट करने वाली मूूर्तियां बनाते हैं।
संगमरमर की मूर्तियां बनाने का केंद्र बना अमृतसर
इन मूर्तिकारों की कहानी भी बेहद अनोखी है। अमृतसर के राम तलाई चौक के नजदीक सिटी सेंटर स्थित भंडारी मार्बल एंड हैंडीक्राफ्ट से मकराणा मार्बल से बनी मूर्तियां राज्य सहित देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी अलग पहचान रखती हैं।यह वास्तव में यह ऐसे कलाकारों की राज्य का धुरा बना हुआ है।