पंजाब
कांग्रेस में ‘नई पारी’ के लिए सिद्धू को माननी होंगी अमरिंदर की शर्तें, सियासी दोराहे पर पहुंचे ‘गुरु’

चंडीगढ़। अपनी धुंआधार भाषण के लिए मशहूर कांग्रेस के फायरब्रांड नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) काफी दिनों से खामोश हैैं। सियासी गतिविधियों से दूर सिद्धू पंजाब की राजनीति में दोराहे पर पहुंच गए हैं। कांग्रेस में धीरे-धीरे दूर हुए सिद्धू के लिए राजनीतिक विकल्प भी कम ही दिख रहे हैं। वह पंजाब कांग्रेस में नई पारी के लिए परदे के पीछे सक्रिय हैं, लेकिन वर्तमान हालात में उनको इसके लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह की शर्त माननी पड़ेगी।
वास्तव में पंजाब कैबिनेट से अलग होने के बाद से ही सिद्धू कांग्रेस से दूर होने लगे थे। वहीं, बीतते समय के साथ सिद्धू के सामने राजनीतिक विकल्प भी सिमटते जा रहे हैंं। कांग्रेस के प्रभारी व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा सिद्धू को फिर से पार्टी या सरकार में एडजस्ट करने की कोशिश भी कमजोर होती जा रही हैंं। ऐसे में सिद्धू के पास विकल्प है कि या तो वह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की बनाई हुई पिच पर बल्लेबाजी करेंं या अपनी राह खुद बनाएंं।
क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू की परेशानी यह है कि पार्टी हाईकमान की वजह से भले ही उनको पंजाब कैबिनेेट में तीसरे नंबर पर मंत्री बनाया गया था, लेकिन पंजाब कांग्रेस में वह कभी भी एडजस्ट नहीं हो पाए। अपने आक्रामक रवैये की वजह से वह अक्सर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए भी परेशानी खड़ी करते रहे। फिर चाहे फरवरी 2019 में पुलवामा हमले का मामला रहा हो या कैप्टन की जगह राहुल गांधी को अपना कैप्टन बताने का बयान, नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री से पंगा लेने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा।